Saturday 16 February 2019

पुलवामा के शहीद


यूँ तो जाँ हथेली पे ले के घूमते थे हम,
पर इक़ बात का हमें रह गया ग़म,

ग़र लड़ते लड़ते जाते, तो कुछ और बात होती,
बीस तीस मार गिराते, तो कुछ और बात होती!

वो कायर मुँह छुपा कर पीछे से आते हैं,
निहत्थों पर आतंक बरपा के जाते हैं,

बलिदान तो देनी थी हमें, पर यूँ नहीं,
जान तो देनी थी हमें, पर यूँ नहीं !

शांति वार्ता नहीं, अब युद्ध करो,
आतंक का हर मार्ग अवरुद्ध करो,

काट डालो गद्दार सपोलों को,
चलने दो तोप के गोलों को!

बन्दूकें भर भर कस लाओ,
अब एक के बदले दस लाओ,

दो उनको मौत के घाट उतार,
अबकी बार आर या पार!

-आशुतोष कुमार 

दोहे -गीता सार

      आगे  की  चिंता  करे,  बीते पर  क्यों रोय भला हुआ होगा भला, भला यहॉँ सब होय।   लेकर कुछ आता नहीं,  लेकर कुछ न जाय  मानव फिर दिन रात ही,...