जितना सोचा न था, उससे ज़्यादा दिया है तूने,
मेरे हमवतन, तिरंगे को और ऊंचा किया है तूने!
मेरे हमवतन, तिरंगे को और ऊंचा किया है तूने!
नयी जोश, नयी सोच, ये नयी रीत है,
अपनी जाति नहीं, सिर्फ़ वतन से प्रीत है!
अपनी जाति नहीं, सिर्फ़ वतन से प्रीत है!
जो भ्रस्ट हैं, वे सदा भयभीत हैं,
जो ईमानदार हैं, उनकी जीत है!
जो ईमानदार हैं, उनकी जीत है!
भगवे से सारा हिन्दुस्तान रंगा है,
हिमालय से निकली नयी गंगा है!
हिमालय से निकली नयी गंगा है!
दशकों से हमें सिर्फ़ उम्मीदें मिली है,
अब सहूलियतों की कमल खिली है!
अब सहूलियतों की कमल खिली है!
दिलों में स्वार्थ नहीं, राष्ट्रवाद पल रहा है,
दुनिया के नक़्शे पर मेरा देश बदल रहा है!
दुनिया के नक़्शे पर मेरा देश बदल रहा है!
- आशुतोष कुमार चौधरी