Tuesday 7 July 2020

अइसे न हम भटकती - गीत (बज्जिका, भोजपुरी)

अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
घुटघुट के हम न मरती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
घुटघट के हम न मरती रहती जे गांव में
घुटघट के हम न मरती रहती जे गांव में


चलते ई पापी पेट के, घर द्वार सब छुटल
चलते ई पापी पेट के, घर द्वार सब छुटल
दिन रात खटत रहली, कही चैन न मिलल
मज़लिस हम लगईती पीपर के छांव में
पुरवईया हवा खईती पीपर के छांव में
सुनती न गारी बात हम रहती जे गांव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में


विपत्त जब पड़ल कौनो राह न सुझल
विपत जब पड़ल कोनो राह न सुझल
पैदल चलते चलते लड़िकन के दम घुटल
छाला है अब परल किस्मत के पाँव में
छाला 
है अब परल किस्मत के पाँव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में


Sunday 5 July 2020

ओ गुरुवर मेरे - गीत

मेरे राम तुम, मेरे श्याम तुम, ओ गुरुवर मेरे
तरस गयीं अँखियाँ दरस को तेरे, ओ गुरुवर मेरे
मेरे राम तुम, मेरे श्याम तुम, ओ गुरुवर मेरे
तरस गयीं अँखियाँ दरस को तेरे, ओ गुरुवर मेरे

साँसों की माला पे करता रहूँ मैं तेरा सुमिरन
तेरे ही चरणों में लगा रहे ये मेरा मन
साँसों की माला पे करता रहूँ मैं तेरा सुमिरन
तेरे ही चरणों में लगा रहे ये मेरा मन
मेरे राम तुम, मेरे श्याम तुम, ओ गुरुवर मेरे
तरस गयीं अँखियाँ दरस को तेरे, ओ गुरुवर मेरे

ब्रह्म ज्ञान का रस तूने सबको पिलाया
भटकते जीवों को शिव से तूने मिलाया
ब्रह्म ज्ञान का रस तूने सबको पिलाया
भटकते जीवों को शिव से तूने मिलाया
मेरे राम तुम, मेरे श्याम तुम, ओ गुरुवर मेरे
तरस गयीं अँखियाँ दरस को तेरे, ओ गुरुवर मेरे
ओ गुरुवर मेरे,
ओ गुरुवर मेरे

दोहे -गीता सार

      आगे  की  चिंता  करे,  बीते पर  क्यों रोय भला हुआ होगा भला, भला यहॉँ सब होय।   लेकर कुछ आता नहीं,  लेकर कुछ न जाय  मानव फिर दिन रात ही,...