अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
घुटघुट के हम न मरती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
घुटघट के हम न मरती रहती जे गांव में
घुटघट के हम न मरती रहती जे गांव में
चलते ई पापी पेट के, घर द्वार सब छुटल
चलते ई पापी पेट के, घर द्वार सब छुटल
दिन रात खटत रहली, कही चैन न मिलल
मज़लिस हम लगईती पीपर के छांव में
पुरवईया हवा खईती पीपर के छांव में
सुनती न गारी बात हम रहती जे गांव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में
विपत्त जब पड़ल कौनो राह न सुझल
विपत जब पड़ल कोनो राह न सुझल
पैदल चलते चलते लड़िकन के दम घुटल
छाला है अब परल किस्मत के पाँव में
छाला है अब परल किस्मत के पाँव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
अइसे न हम भटकती रहती जे गांव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में
घुट घट के हम न मरती रहती जे गांव में
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