Sunday 27 September 2020

पहल

लग जाती है लोगों को छोटी सी बात,
क्यूँ ऐसे हो गए मेरे गाँव के हालात !

आज बुज़ुर्गों का ज़माना याद आता है,
पांच गाँव का साथ खाना याद आता है !

एक दूसरे से लोग रूठते गये,
नादानियों में घर टूटते गये !

समस्याओँ को साथ मिलकर हल करना होगा,
कोई और करें न करें, हमें  पहल करना होगा! 

खोया हुआ संस्कार हमें वापस लाना होगा,
अपने गाँव को बिखरने से बचाना होगा! 

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