लग जाती है लोगों को छोटी सी बात,
क्यूँ ऐसे हो गए मेरे गाँव के हालात !
आज बुज़ुर्गों का ज़माना याद आता है,
पांच गाँव का साथ खाना याद आता है !
एक दूसरे से लोग रूठते गये,
नादानियों में घर टूटते गये !
समस्याओँ को साथ मिलकर हल करना होगा,
कोई और करें न करें, हमें पहल करना होगा!
खोया हुआ संस्कार हमें वापस लाना होगा,
अपने गाँव को बिखरने से बचाना होगा!
क्यूँ ऐसे हो गए मेरे गाँव के हालात !
आज बुज़ुर्गों का ज़माना याद आता है,
पांच गाँव का साथ खाना याद आता है !
एक दूसरे से लोग रूठते गये,
नादानियों में घर टूटते गये !
समस्याओँ को साथ मिलकर हल करना होगा,
कोई और करें न करें, हमें पहल करना होगा!
खोया हुआ संस्कार हमें वापस लाना होगा,
अपने गाँव को बिखरने से बचाना होगा!