तू कल था, तू आज है, तू कल रहेगा !
तू अटल था, तू अटल है, तू अटल रहेगा !
यूँ तो कई आये, कई आएंगे, राजनीती करने वाले,
पर संविधान की गरिमा में, तू अचल रहेगा !
सम्बोधनों और सभाओं में भाषा मर्यादा खो रही,
पर संसद हो या सड़क, तू कवि निश्छल रहेगा !
दल बदल के दल दल में, डूबते जाते सत्ता मोही,
घर घर कमल का फूल खिला, तू एक दल रहेगा !
देशभक्त कहलाने को, कई झूठी कस्मे खाएंगे,
पर माँ भारती के दिल में, तू हर पल रहेगा !
तू कल था, तू आज है, तू कल रहेगा !
तू अटल था, तू अटल है, तू अटल रहेगा !
- आशुतोष के श्रद्धा सुमन
तू अटल था, तू अटल है, तू अटल रहेगा !
यूँ तो कई आये, कई आएंगे, राजनीती करने वाले,
पर संविधान की गरिमा में, तू अचल रहेगा !
सम्बोधनों और सभाओं में भाषा मर्यादा खो रही,
पर संसद हो या सड़क, तू कवि निश्छल रहेगा !
दल बदल के दल दल में, डूबते जाते सत्ता मोही,
घर घर कमल का फूल खिला, तू एक दल रहेगा !
देशभक्त कहलाने को, कई झूठी कस्मे खाएंगे,
पर माँ भारती के दिल में, तू हर पल रहेगा !
तू कल था, तू आज है, तू कल रहेगा !
तू अटल था, तू अटल है, तू अटल रहेगा !
- आशुतोष के श्रद्धा सुमन