लगता है दौर-ऐ-शियासत ने नयी राह चुनी है
वरना शेर ने कब कुत्तों की सुनी है !
ये कोई क्रिकेट की पिच नहीं जंग-ए-शियासत है गुरु,
यहाँ उसूल और वफ़ा बेच कर ही होती है पारी शुरू !
हर्ज़ नहीं ग़र लाखों पशु रोज़ ख़ून के घाट उतार दिये जाते हैं,
तकलीफ़ ये के हम क्यूँ उनके साथ कुश्ती कर जल्लीकट्टू मनाते हैं !
एक लड़की को एक धमकी मिलती है तो पूरी दिल्ली, पूरी मीडिया, पुरे देश में हल्ला हो जाता है,
पर केरल में ९ महीने में भाजपा संघ के ११ लोगों का कत्लेआम ख़बरों में कही खो जाता है!
हमारे देश की सेक्युलर मीडिया को लेफ्ट ही हमेशा राईट दिखती है,
राईट कितना भी राईट हो उनकी सोच में डाईनामाइट दिखती है !
अब तो जवानों को छूट दो की वे अपने साथियों की शहादत का बदला लें कुछ इस कदर से,
कि घर घर से नक्सली निकाल कर ऐसी मौत दें कि मरने के बाद भी रूह काँपती रहे डर से।
कही क़र्ज़ के बोझ तले दब भूख से मर रहा अन्नदाता किसान है,
कही कटप्पा और बाहुबली के पीछे करोड़ो लगा रहा इंसान है,
लगातार होती गरीब बच्चों की मौत और डिजिटल इंडिया बनाने में लगे हैं हम,
मुलभुत सुविधाएं तो मुहैया हैं नहीं, शिवाजी और पटेल की प्रतिमा बनाने में लगे हैं हम !
कही हीरो के पोस्टरों को दूध से यूँ नहलाये मानो भगवान है,
देख सब लगता है सचमुच मेरा देश कितना महान है।
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