अजब कातिलाना अंदाज है इस जालिम फ़िज़ा का,
डूबने का समय आता है तब सूरज आसमान पे छाता है !
अपनों की इस दुनिया में कोई अपना सा ना मिला,
जिंदगी की दौर में जो भी मिला अपनी हक़ीक़त छुपाता सा मिला।
हम अनजान चेहरों के शहर से हो आये हैं,
सिर्फ धूल नहीं लाये तजुर्बा भी साथ लाये हैं।
खुश् हूँ की शहर की सड़कें चतुरंग हो गयीं हैं,
ग़म इस बात का है की दिल की गलियाँ तंग हो गयीं हैं।
किसी से मिलने की ख़ुशी है, किसी से बिछुड़ने का ग़म।
चलने का नाम जिंदगी है, चलते रहे हम ।
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