Friday 26 January 2018

गणतंत्र

परतंत्रता के हाथों कई बार राजतंत्र बिकी है,
स्वतंत्रता की ईमारत शहीदों के शीश पे टिकी हैं!

भ्रस्टाचार, जातिवाद, आरक्षण से देश लुट रहा है ,

स्वतंत्र हैं हम, पर गणतंत्र का दम घुट रहा है!

वतन के रहनुमाओं के पास साज़ है, पर आग़ाज़ नहीं,

देखने को इनके सुनहरे पंख है, पर परवाज़ नहीं!

चोरो की ज़मात इकट्ठी हो गयी इस कदर,

भटकता रह न जाये देश अपना दर-ब-दर!

गली गली, घर घर में अब राष्ट्रगान चाहिए,

लहराते तिरंगे को नया आसमान चाहिए !

-आशुतोष चौधरी 

Wednesday 17 January 2018

बिसरत नाहीं


मातु पितु दरस को हृदय अकुलाहीं !
ऊधो, मोहि ब्रज बिसरत नाहीं !!

ग्वाल गोप जहँ  माखन खाहीं !
उन सम कहाँ सखा जग माहीं !!

सुर नर मुनि भजन जहँ गाहीं !
गुरु कृपा की जहँ अविरल छाहीं !


ऊधो मोहि ब्रज बिसरत नाहीं !


मकर संक्रांति

असम में बिहू और पंजाब में लोह्ड़ी की धूम,
गुजरात भी मना रहा उत्तरायण झूम, 
झारखंड में टुसु और तमिल में पोंगल, 
केरल में ओणम करे सबका मङ्गल,
मीठे पकवानों की खुशबू घर घर छाई, 
सब मित्रों को मकर संक्रांति की खूब खूब बधाई !

दोहे -गीता सार

      आगे  की  चिंता  करे,  बीते पर  क्यों रोय भला हुआ होगा भला, भला यहॉँ सब होय।   लेकर कुछ आता नहीं,  लेकर कुछ न जाय  मानव फिर दिन रात ही,...