Saturday 17 October 2020

बॉरिस जी



सुपर पावर जितने समझते थे खुद को
कोरोना ने ला दिया है घुटने पे उन को

करना है क्या जब समझ नहीं आया जी
बोरिस ने फटाफट एक नंबर घुमाया जी

देर कर लाये लॉक डाउन के नियम जी
ICU पहुंच गये UK के पी एम जी

क्या बताये कितनी की नर्सों ने सेवा जी
बाहर आ के समझे की ये है जानलेवा जी

लॉक डाउन खोलने का जब ख्याल आया जी
बॉरिस जी ने फिर से वही नंबर घुमाया जी

दूसरे दिन ही टीवी पे आ के फिर बोले जी
चलो अब ऑफिस और मार्किट हम खोले जी

ऑफ़िस भी जाईये और घर में भी रहिये
लोगों से भी मिलिए और अकेले ही रहिये

पब्लिक ट्रांसपोर्ट को जब भी यूज़ करिये
याद रखिये हमेशा अकेले ही चलिये

रेस्टोरेंट भी जाइये पर खाना मत खाइये
८ बजे थर्सडे को ताली सब बजाइये

प्रीति जी से पूछा मैंने, ये किस्से बतीयाते हैं
डिसिजन लेने के पहले किसको फोनियाते हैं

उड़ गए होश सबके पाके ये ख़बर जी
पप्पू जी के नाम पर सेव था नंबर जी

Sunday 11 October 2020

सूर्यदेव

सात घोड़े पे सवार,
पहने किरणों के हार,
आइये सूर्यदेव ज़ल्दी आईये आज,
आइये सूर्यदेव ज़ल्दी आईये आज!


इतने दिनों से जो प्यासी हैं व्रती आई हैं,
अपने पति और बच्चे भी संग लायीं हैं,
आ जाइये जल्दी से, न देर लगाइये आज,
आइये सूर्यदेव रखिये भगतों की लाज,
आइये सूर्यदेव जल्दी आईये आज!


हमने फलों और फूलों से सजा दी है घाट,
देखूं अर्घ्य ले के हाथों में कब से तरी बाट,
हम सब भक्तों के प्रभुजी, पूरण कीजिये काज
आइये सूर्यदेव अर्घ्य लीजै महाराज,
आइये सूर्यदेव ज़ल्दी आईये आज!

सात घोड़े पे सवार,
पहने किरणों के हार,
आइये सूर्यदेव ज़ल्दी आईये आज,
आइये सूर्यदेव ज़ल्दी आईये आज!

Saturday 10 October 2020

देव होली

 

शिव मेरा शमशान में खेले भस्म रमा के होली, 
क्षीर सागर में लेटे विष्णु, नाचे देवो की टोली !

कृष्ण ने भी गोपियों संग ब्रिज में है रंग घोली, 
हनुमान ने राम जी की भक्ति में खुद को भिंगोली !

इन्द्र ने भी स्वर्ग में भर दी अफ्सराओ की झोली,
ब्रह्मा जी ने आज ज्ञान की नयी शाखा है खोली !

आओ दिल से मिलायें दिल, रंगों से मिलायें रंग,
रूठे  सब अब  जायें  मिल, अंतर में छाये उमंग !

ख़ुशियों के गीत गायें मिलजुल कर हमजोली,
बीती ताहि बिसारी दे, जो हो ली सो हो ली !

- आशुतोष कुमार  

दोहे -गीता सार

      आगे  की  चिंता  करे,  बीते पर  क्यों रोय भला हुआ होगा भला, भला यहॉँ सब होय।   लेकर कुछ आता नहीं,  लेकर कुछ न जाय  मानव फिर दिन रात ही,...