बादलों पर चलकर सात समंदर पार आई है,
मुद्दतों बाद इस आँगन में बहार आई है!
बागों में सिर्फ गुलों के मेले नहीं आये,
रंग बिरंगे पक्षियों की कतार आई है!
हवा में बस खुशबू के रेले नहीं आये,
पेड़ों पे जवानी फिर एक बार आई है!
उन ठिठुरती रातों के दिन अब गए,
धूप की नयी चादर दो चार आई है!
सिर्फ अरमानो का सूरज ही नहीं आया,
हौसलों की बारिश मूसलाधार आई है!
-आशुतोष
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