जाने कहाँ गए वो गांव के मिट्टी वाले पल ,
बात बात पे करते कट्टी मिठ्ठी वाले पल!
बात बात पे करते कट्टी मिठ्ठी वाले पल!
ठंडे पानी से नहाकर कंपने वाले पल!
आग पे रखकर पके हुए वो मक्के वाले पल
नारंगी के गेंद पे लगते छक्के वाले पल!
आम के पेड़ों पे चलते वो ढेलों वाले पल,
पटरी पे रख के कान सुने, वो रेलों वाले पल!
तपते हुए रस्तों पे उड़ते धूलों वाले पल,
खेतों में बोयी सरसो के फूलों वाले पल!
बाग में बैठ के लीची दम भर खाने वाले पल,
शाम हो जाने पर भी घर नहीं जाने वाले पल!
झूमती बारिश में फ़ुटबाल के मैचों वाले पल,
बाउंड्री लाइन के ऊपर छूटते कैचों वाले पल!
जाने कहाँ गए वो गाँव के मिट्टी वाले पल,
पीपल के पत्तों पे लिखे चिट्ठी वाले पल!
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