Tuesday 21 November 2017

वो मिट्टी वाले दिन


जाने कहाँ गए वो गांव के मिट्टी वाले पल ,
बात बात पे करते कट्टी मिठ्ठी वाले  पल!

जाड़ों में घूरो को घेर के तपने वाले पल,
ठंडे पानी से नहाकर कंपने वाले पल!

आग पे रखकर पके हुए वो मक्के वाले पल
नारंगी के गेंद पे लगते छक्के वाले पल!

आम के पेड़ों पे चलते वो ढेलों वाले पल,
पटरी पे रख के कान सुने, वो रेलों वाले पल!

तपते हुए रस्तों पे उड़ते धूलों वाले पल,
खेतों में बोयी सरसो के फूलों वाले पल!

बाग में बैठ के लीची दम भर खाने वाले पल,
शाम हो जाने पर भी घर नहीं जाने वाले पल!

झूमती बारिश में फ़ुटबाल के मैचों वाले पल,
बाउंड्री लाइन के ऊपर छूटते कैचों वाले पल!

जाने कहाँ गए वो गाँव के मिट्टी वाले पल,
पीपल के पत्तों पे लिखे चिट्ठी वाले पल!

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