Saturday 25 November 2017

जब से

दोस्तों पे ज़माने का असर हो गया जब से,
दुश्मनो से पूछ कर दोस्ती करता हूँ तब से !

प्यार में धोखे का चलन हो गया जब से,
दिल न लगाने की नसीहत देता हूँ तब से !

रिश्तेदारों ने बेबजह दुरी बढ़ा ली जब से,
आईने में खुद को ढूंढता हूँ तब से !

हाथों में पत्थर उठा लिए अपनों ने जब से,
खिरकी के पास खरा रहता हूँ तब से !

हादसे बढ़ गए हैं सडको पे जब से,
बाहर निकलने से डरने लगा हूँ तब से !

यारों के वो महफ़िल बंद हो गए है जब से,
सोशल मीडिया पे एक्टिव हो गया हूँ तब से !

हर तरफ चीखने की आवाज आने लगी है जब से,
ख़ामोशी की आवाज सुनने लगा हूँ तब से !

मंदिरों पे हो गया पुजारियों का बसर जब से ,
दिल में ही अपने खुदा रखता हूँ तब से !

-आशुतोष 

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