सोचता हूँ
वादों और जुमलों की जंग में आशाओं का क्या होगा ,
बेकाबू होते नेताओं की भाषाओं का क्या होगा !
सोचता हूँ
बॉर्डर पर कट रही सिरों के कफ़न का क्या होगा ,
पेंशन हेतु सैनिको की आमरण अनसन का क्या होगा !
सोचता हूँ
निहत्थों पर चले पुलिस के डंडे का क्या होगा ,
कश्मीर में लहरते पाकिस्तानी झंडे का क्या होगा !
सोचता हूँ
कर्जे से लड़ते किसानों की आत्महत्या का क्या होगा ,
हरित क्रांति के लिए आई सत्ता का क्या होगा !
सोचता हूँ
सूखते फसल और फिर बाढ़ की मार का क्या होगा ,
नदियों और नहरों के जीर्णोद्धार का क्या होगा !
सोचता हूँ
सच्चे संतो पर लगते आरोपों के ब्यौपार का क्या होगा ,
बिकाऊ न्यूज़ परोसती मीडिया के आचार का क्या होगा !
सोचता हूँ
प्रति दिन मजहब में बटते इंसान का क्या होगा ,
दराजों में बंद गीता बाइबिल कुर्रान का क्या होगा !!
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