Saturday 25 November 2017

देश बेचारा

राजनीती का ख़ेल भी अज़ब हीं न्यारा,
कोई सोनिया का मारा तो कोई मोदी से हारा,

कोई डिग्री के पीछे तो किसीको सूखे का सहारा,
सब के बीच राह तकता रह गया देश बेचारा !

सस्ती चाईनीज ख़रीद अपनी तरक़्क़ी को बस कोसा हमनें,
उम्र भर की कमाई देकर दुश्मनों को बस पोषा हमने !

कितनी भी कर लो नापाक़ पाकी से वार्ता बस नाम भर ही है,
शरहदों पे कुर्बान शहीदों का लहू हमारे सिर भी है !

जितना काला धन पार्टियाँ लगा देतीं हैं दूसरों को हराने में ,
बहारें आ जायें गर उतना लगा दें वादा निभानें में !

एक ओवैसी सबको मिनटों में काट डालना चाहता है,
तो दूसरा भारत माता की जय कहना हराम मानता है,

खुद कट्टर हो दुसरो को असहिस्णु बताने वाले,
जय बोलना गर हराम हो तो माँ तुझे सलाम गा ले,

सच तो ये है की तेरी नीयत में ही खोट है,
क्यूंकि लक्ष्य तेरा सिर्फ़ माइनॉरिटी वोट है!

किसकी थी खता और किसको मिली सज़ा,
मौत बाँटते सियासत-गर्द और कहते हैं हादसा !

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