Wednesday 22 November 2017

तेरा रस्ता देख रहा हूँ

जानता हूँ के तू नहीं आयेगा ,
पर तेरा रस्ता देख रहा हूँ अब भी !

हर सुबह तुझे भुलाने का भ्रम करता हूँ ,
पर हर शाम तेरी याद लेकर चली आती है !

जीवन की राहों में हैं हजारों ग़म ,
पर हर ग़म अब मुझे छोटा लगता है !

जब भी कभी कोई दिल दुखाता है ,
तेरी यादों के दामन से लिपट जाता हूँ !

आँखों से बहते अश्क़ कह उठते हैं ,
के मेरे इस हालात की वजह तू है !

पर ना जाने क्यूँ चाहकर भी मैं तुझसे नफ़रत नहीं कर पाता ,
ना जाने क्यूँ चाहकर भी मैं तुझे भुला नहीं पाता !

जानता हूँ की तूने ही मुझे ठुकराया था ,
पर अब भी तेरी यादें ही शुकुन देती है !

क्यूँ जीये चला जा रहा हुँ इसी उम्मीद पे ,
की ऐसी एक शाम आयेगी जो तुझे अपने साथ लाएगी !

न जाने क्यूँ अब भी दिल में एक आस लगी है ,
तुझसे मिलने की अमिट प्यास लगी है !

जानता हूँ की तू मुझसे जुदा होकर भी ख़ुश है ,
पर मैं तेरा रस्ता देख रहा हूँ अब भी !

हर पल दिल में एक अजीब सी कश्मक़श है ,
की काश कोई हवा का झौंका तेरी खुशबू लाये !

हर पल मन में ये अगन है ,
के काश कोई कोयल तेरी ख़बर सुनाये !

जानता हूँ की सारे रस्ते कबके बंद हैं ,
पर मैं तेरा रस्ता देख रहा हूँ अब भी !

तेरा रस्ता देखते देखते एक दिन थम जायेंगी ये साँसे ,
पर देख़ लेना बंद नहीं होंगी ये ऑंखें !

क्यूंकि तेरा रस्ता देख रहा हूँ मैं अब भी ,

और तेरा रास्ता देखता रहूँगा मैं तब भी !

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