Saturday 25 November 2017

लेफ़्ट की आज़ादी

चाहा तो बहुत कि तुझपे ऐतवार करूँ कन्हैयाँ,
पर तूने जो कुछ भी कहा उसमें नया क्या था भैया!

गरीबों के पुराने मसीहा - लालू मुलायम या फिर माया,
अलग अलग अंदाजे-बयां में सबने यही था फ़रमाया!

दशकों से यही कह कर तो लेफ़्ट वाले रोटियाँ सेंक रहे हैं,
गरीबी से आज़ादी पाई बेंगाल को सब देख रहे हैं!

सरेआम भारत सरकार को तूने मन भर सुनाई,
और कितनी आज़ादी चाहिए मेरे भाई !

और ब्राह्माणवाद से आज़ादी सुन हँसी आई बहुत जोर,
क्युकी ब्राह्मण आर्थिक रूप से आज़ सबसे है कमजोर!

और जो लोग पूंजीवाद से आज़ादी चाहते थे पहले,
वो विदेशों में खुब छुपाये और बना लिये महलें!

तू भी बैंक से लोन ले, कर धंधा तन कर,
दिमाग लगा और दिखा लोगों को अम्बानी बन कर!

जितना मीडिया तुझे चमका चुकी है लगता नहीं तू कुछ करने वाला है,
क्यूंकि इंतजार ख़तम अब कई पार्टियों से तुझे टिकट मिलने वाला है!

हमारा क्या है पहले अन्ना को देखा फिर केजरीवाल आये,
उसके बाद हार्दिक फिर रोहित और अब तुम हो छाये!

हमें नुक्कड़ पे गप मारने के लिए चाहिए नयी टॉपिक चाय और समोसे,
देश तो कल भी था राम भरोसे और अब भी है राम के ही भरोसे!

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