मेरी नजरों में ये दोस्त तू ख़ुदा था,
क्यूंकि रंग तेरा ज़माने से जुदा था,
कौन सी कमी मेरी नागवार गुजरी की तू रुठ गया,
गाँठ की गुंजाइश भी अब नहीं, जब बंधन ही ये टूट गया!
क्यूंकि रंग तेरा ज़माने से जुदा था,
कौन सी कमी मेरी नागवार गुजरी की तू रुठ गया,
गाँठ की गुंजाइश भी अब नहीं, जब बंधन ही ये टूट गया!
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